पुणे। चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र में इस बार फिर जगताप परिवार और राहुल कलाटे के बीच चौथी बार मुकाबला हो रहा है। दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप के निधन के बाद यह पहला आम चुनाव है। इस चुनाव में बीजेपी से शंकर जगताप और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) से राहुल कलाटे आमने-सामने हैं। जहां शंकर जगताप के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है, वहीं कलाटे अपनी राजनीतिक पहचान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
जगताप परिवार का प्रभाव और चुनौतियां
2009 में चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र के गठन के बाद से ही जगताप परिवार का वर्चस्व रहा है। लक्ष्मण जगताप तीन बार विधायक चुने गए, जिनमें एक बार निर्दलीय और दो बार बीजेपी से। 2019 के चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय लड़ने वाले राहुल कलाटे ने कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन लक्ष्मण जगताप ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की।
2023 में लक्ष्मण जगताप के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी अश्विनी और भाई शंकर के बीच टिकट को लेकर विवाद हुआ। बीजेपी ने अश्विनी को टिकट दिया, जिन्होंने सहानुभूति लहर और महाविकास आघाड़ी के भीतर की खींचतान के चलते 36 हजार मतों से जीत हासिल की। हालांकि, परिवार के आंतरिक संघर्ष से बीजेपी को राजनीतिक आलोचना का सामना करना पड़ा।
इस बार शंकर जगताप को टिकट दिया गया है। परिवार और पार्टी में विरोध के स्वर उठे थे, लेकिन नेतृत्व ने अहम पद देकर नाराज नेताओं को शांत किया। अब शंकर को पिछले 15 वर्षों में क्षेत्र के विकास कार्यों पर उठ रहे सवालों का जवाब देना होगा।
राहुल कलाटे की रणनीति और चुनौतियां
राहुल कलाटे, जो पहले शिवसेना और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं, अब राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) से मैदान में हैं। यह उनका चौथा चुनाव है। पार्टी की टिकट के लिए कलाटे और नाना काटे के बीच खींचतान रही, लेकिन सांसद अमोल कोल्हे के समर्थन से कलाटे को टिकट मिला। टिकट न मिलने से नाराज नाना काटे ने बीजेपी के शंकर जगताप को समर्थन दे दिया है।
कलाटे वाकड और पुनावले में मजबूत पकड़ रखते हैं, लेकिन महाविकास आघाड़ी में फूट के कारण उन्हें सहयोगियों की पूरी मदद नहीं मिल रही है। शिवसेना (ठाकरे गुट) के प्रमुख अनंत कोरहाले ने निर्दलीय भाऊसाहेब भोईर का समर्थन कर दिया है। इसके अलावा वंचित बहुजन आघाड़ी ने भी इस बार कलाटे को समर्थन नहीं दिया है।
चुनावी गणित और क्षेत्र की स्थिति
चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र में 6,63,622 मतदाता हैं, जिनमें 3,48,450 पुरुष, 3,15,115 महिलाएं, और 57 तृतीयपंथी शामिल हैं। क्षेत्र में कष्टकारी वर्ग, मध्यमवर्गीय और उच्च वर्ग का मिश्रण है। वाकड, पुनावले, किवले, रावेत और पिंपले सौदागर जैसे शहरी इलाकों में करीब डेढ़ लाख नए मतदाता जुड़े हैं, जिनका झुकाव परिणाम तय करेगा।
विरोधियों के आरोप और मुद्दे
जहां शंकर जगताप पर घरानेशाही और जनसंपर्क की कमी के आरोप लग रहे हैं, वहीं राहुल कलाटे पर बार-बार टिकट पाने के कारण पार्टी में असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। दोनों उम्मीदवारों को मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए अपने-अपने गढ़ों पर निर्भर रहना होगा।
यह चुनाव पारंपरिक विरोधियों के बीच केवल जीत-हार का नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व का भी फैसला करेगा।