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पुणे। हडपसर विधानसभा क्षेत्र की चौतरफा मुकाबले वाली चुनावी जंग में महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दल शिवसेना (ठाकरे गुट) की बगावत राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के उम्मीदवार के लिए मुश्किलें खड़ी करेगी या नहीं, इसका जवाब शनिवार को मतगणना के बाद मिलेगा। इस सीट पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और शिवसेना के बागी उम्मीदवार के प्रदर्शन पर चुनावी गणित निर्भर करता है।

पिछली विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण, यह देखना दिलचस्प होगा कि अधिक वोट किस उम्मीदवार की झोली में जाते हैं। माना जा रहा है कि जिसके पक्ष में ज्यादा मतदान हुआ है, उसकी जीत तय है।

हडपसर: सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र

पुणे शहर के आठ विधानसभा क्षेत्रों में हडपसर सबसे बड़ा है, जहां 6,25,000 मतदाता हैं। इस बार एक लाख 20 हजार नए मतदाताओं के जुड़ने से कुल मतदाता संख्या में वृद्धि हुई है। 2019 में इस क्षेत्र में 47.23% मतदान हुआ था, जो इस बार बढ़कर 50.11% हो गया है। हालांकि, अन्य क्षेत्रों की तुलना में यह अब भी सबसे कम है।

कौन-कौन हैं मैदान में?

महायुति से राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) के चेतन तुपे, महाविकास अघाड़ी से राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के प्रशांत जगताप, मनसे के साईनाथ बाबर, और शिवसेना (ठाकरे गुट) के बागी गंगाधर बधे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं।

पिछली बार चेतन तुपे ने भाजपा के योगेश टिळेकर को केवल 2,750 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। उस चुनाव में मनसे, एआईएमआईएम और वंचित बहुजन अघाड़ी के उम्मीदवारों को मिले वोट तुपे की जीत में अहम साबित हुए थे। मनसे को 35,000, एआईएमआईएम को 8,000 और वंचित को 7,500 वोट मिले थे।

बागी उम्मीदवारों का असर

इस बार भाजपा के योगेश टिळेकर तुपे का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, निर्दलीय चुनाव लड़ रहे गंगाधर बधे को शिवसेना (ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक महादेव बाबर का समर्थन मिला है। बधे की मजबूत चुनावी मुहिम के कारण महाविकास अघाड़ी के प्रशांत जगताप की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

‘एम’ फैक्टर से कौन होगा लाभान्वित?

हडपसर में ‘एम’ फैक्टर – मराठा, माली, मुस्लिम और मराठवाड़ा समुदाय – प्रभावशाली भूमिका निभाता है। शरद पवार के समर्थकों की संख्या इस क्षेत्र में काफी है। यह वर्ग किसके पक्ष में मतदान करता है, यह मतगणना के दिन साफ हो जाएगा।

हडपसर की परंपरा के अनुसार, हर चुनाव में नया विधायक चुना जाता है। इस बार यह परंपरा जारी रहती है या चेतन तुपे लगातार दूसरी बार विधायक बनकर नया इतिहास रचते हैं, यह शनिवार को स्पष्ट होगा।