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पुणे: “लेखन, वाचन, चिंतन और शोध समाज को सकारात्मक दिशा देते हैं। पुणे इन क्षेत्रों का केंद्र है, और दुनिया इस शहर का अनुकरण करती है। जैसे गणेशोत्सव की ख्याति विश्वभर में है, वैसे ही इस वर्ष का पुणे पुस्तक महोत्सव भी विश्वविख्यात होगा,” यह विश्वास महाराष्ट्र के पूर्व उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री और विधायक चंद्रकांत पाटील ने व्यक्त किया।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) के तत्वावधान में 14 से 22 दिसंबर तक फर्ग्युसन कॉलेज के प्रांगण में ‘पुणे पुस्तक महोत्सव’ आयोजित होगा। इसकी तैयारियों को लेकर रविवार शाम फर्ग्युसन कॉलेज के एम्फी थिएटर में बैठक आयोजित की गई, जिसमें चंद्रकांत पाटील मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।
इस अवसर पर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. शैलेंद्र देवळाणकर, प्रवीण तरडे (अभिनेता और लेखक), महोत्सव के संयोजक राजेश पांडे, NBT के सहायक निदेशक मयंक सुरोलिया, और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
महत्वपूर्ण बातें:
चंद्रकांत पाटील: “पिछले साल की तुलना में इस बार महोत्सव चार गुना बड़ा होगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसका उद्घाटन करेंगे। नागपुर में भी इसी तरह का महोत्सव आयोजित करने की तैयारी हो रही है। पुणे पुस्तक महोत्सव अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा।”
डॉ. सुरेश गोसावी: “पुणे विश्वविद्यालय के 1,200 कॉलेजों के 7.5 लाख छात्र इस महोत्सव में सक्रिय भागीदारी करेंगे। इससे वाचन संस्कृति और पाठकों की पसंद-नापसंद का डेटा मिलेगा।”
डॉ. शैलेंद्र देवळाणकर: “यह महोत्सव एक वाचन आंदोलन है। जयपुर साहित्य महोत्सव के बाद यह देश का शीर्ष पुस्तक महोत्सव बनने की ओर अग्रसर है।”
प्रवीण तरडे: “यह महोत्सव पुणे की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा है। पुणेकरों को इसमें भाग लेकर साहित्यिक पहचान को पुनर्जीवित करना चाहिए।”
राजेश पांडे: “10 दिसंबर को महोत्सव के भव्य प्रवेशद्वार का उद्घाटन होगा। 11 दिसंबर को ‘शांतता, पुणेकर पढ़ रहे हैं’ नामक अभियान के तहत प्रमुख स्थानों पर वाचन गतिविधियां आयोजित होंगी।”
बैठक के दौरान महोत्सव के आयोजन के लिए बनाई गई समितियों और उनके प्रमुखों की जानकारी दी गई। बागेश्री मंठाळकर ने इसे “श्रमिकों के बल पर चलने वाला जगन्नाथ रथ” बताया। बैठक का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
पुणे पुस्तक महोत्सव
इस बार का पुणे पुस्तक महोत्सव न केवल वाचन संस्कृति को बढ़ावा देगा बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। पुणेकरों से इसमें सक्रिय भागीदारी की अपील की गई है।