पुणे। विधानसभा चुनाव से पहले रिक्शा चालकों की मांगों को लेकर रिक्शा पंचायत और राज्य क्रियान्वयन समिति ने एक घोषणा पत्र तैयार किया है। यह घोषणा पत्र शहर में चुनाव लड़ने वाले विभिन्न दलों के उम्मीदवारों को सौंपा जा रहा है और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम उठाने की अपील की जा रही है।
राज्य में रिक्शा चालकों की संख्या लगभग 20 लाख के करीब पहुंच चुकी है। आसानी से उपलब्ध रोजगार के कारण निम्न आर्थिक वर्ग के युवा बड़ी संख्या में इस पेशे से जुड़े हुए हैं। लेकिन, राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों में रिक्शा चालकों को स्थिरता प्रदान करने की कोई ठोस योजना नहीं है। इसके विपरीत, सरकारी नीतियों ने इस सेवा में अस्थिरता और आर्थिक असुरक्षा को बढ़ावा दिया है। इसी अस्थिरता को खत्म करने के लिए रिक्शा चालकों का मांग पत्र तैयार किया गया है, जिसे विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को सौंपा जा रहा है। यह जानकारी रिक्शा पंचायत के महासचिव नितिन पवार ने दी।
पवार ने कहा कि सालों से रिक्शा चालकों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है, जिससे उनका जीवन बेहद कठिन हो गया है। इन समस्याओं से रिक्शा चालकों में गहरा असंतोष है। उम्मीदवारों से अपील की गई है कि वे इन मांगों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें और प्रचार के दौरान इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
रिक्शा चालकों की प्रमुख मांगें:
1. रिक्शा के मुक्त परमिट को तुरंत बंद किया जाए।
2. रिक्शा चालक कल्याणकारी मंडल को सरकारी निगम का दर्जा दिया जाए।
3. रिक्शा चालक निगम के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रावधान किया जाए।
4. बाइक टैक्सी को केवल दूरदराज के इलाकों में अनुमति दी जाए।
5. ई-रिक्शा के लिए भी सामान्य रिक्शा की तरह परमिट अनिवार्य किया जाए।