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पुणे। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने हडपसर से साईनाथ बाबर, कोथरुड से किशोर शिंदे, और खड़कवासला विधानसभा क्षेत्र से दिवंगत विधायक रमेश वांजले के बेटे मयूरेश वांजले को उम्मीदवार घोषित किया है। गुरुवार, 14 नवंबर को, राज ठाकरे ने खड़कवासला में मयूरेश के समर्थन में एक जनसभा आयोजित की। इस दौरान, मयूरेश की मां हर्षदा वांजले ने भी जनता को संबोधित किया।

हर्षदा वांजले ने कहा, “आज इस सभा में बोलते हुए मुझे रमेश वांजले की बहुत याद आ रही है। मुझे ऐसा लगता है कि वह आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। कभी-कभी उनकी कमी महसूस होती है। 2009 के विधानसभा चुनाव में आपने उन पर भरोसा किया था, और मुझे उम्मीद है कि इस बार आप वही भरोसा मयूरेश पर जताएंगे। राज ठाकरे ने मयूरेश पर जो विश्वास दिखाया है, वह उसे पूरी तरह से सही साबित करेंगे। इसलिए, मैं आप सभी से अपील करती हूं कि 20 नवंबर को रेलवे इंजन के चुनाव चिह्न पर बटन दबाकर मयूरेश को भारी मतों से विजयी बनाएं।”

हर्षदा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “मुझे पता चला है कि हमारे सामने खड़े कुछ उम्मीदवार और उनके समर्थक हमारे कार्यकर्ताओं को धमका रहे हैं। मैं अपने कार्यकर्ताओं से कहना चाहती हूं कि उनकी धमकियों से डरने की जरूरत नहीं है। बिना डरे, मयूरेश के लिए काम करें। अगर प्रचार के दौरान आपके बाल तक को कोई नुकसान पहुंचाएगा, तो याद रखें कि यहां मयूरेश की मां खड़ी है। मैं केवल मयूरेश की नहीं, आप सभी की मां हूं। अगर किसी ने आपको हाथ भी लगाया, तो मैं उनके पैर तोड़े बिना चुप नहीं बैठूंगी।”

उन्होंने आगे कहा, “आपके समर्थन के लिए मयूरेश के साथ मैं भी हमेशा खड़ी हूं। पिछली बार हमारे उम्मीदवार केवल 2,600 वोटों से हारे थे। इस बार, मैं आपसे अपील करती हूं कि मयूरेश को भारी मतों से जिताएं।”

राज ठाकरे ने रमेश वांजले को किया याद

सभा में बोलते हुए राज ठाकरे ने कहा, “जब मैंने पहली बार रमेश वांजले के बेटे मयूरेश को देखा, तो मुझे लगा जैसे मेरे भाई जयदेव ठाकरे के बेटे राहुल ठाकरे मेरे सामने खड़े हैं। मयूरेश का व्यक्तित्व बिल्कुल वैसा ही है। मुझे आज भी वह दिन याद है, जब रमेश वांजले ने आखिरी बार मुझसे बात की थी। मैंने उन्हें फोन किया था, और उन्होंने बताया था कि वह अस्पताल में हैं और एमआरआई करवा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट के बाद मुझसे 10 मिनट में बात करेंगे। लेकिन, उसके 15-20 मिनट बाद मुझे खबर मिली कि वह हमारे बीच नहीं रहे। उस समय मुझे समझ नहीं आया कि क्या कहूं। मुझे कई करीबी लोगों को खोना पड़ा, लेकिन आज रमेश वांजले होते तो यह सब अलग होता।”