भारत में पहिली बार रिअल टाइम ओ -आर्म के मार्गदर्शन में स्पाईन स्टेन्टिंग – स्टेंटोप्लास्टी प्रक्रिया

वर्टीब्रल फ्रैक्चर के लिए संचेती अस्पताल में आधुनिक रीढ़ की प्रक्रियाएं

पुणे : संचेती अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने पश्चिमी भारत में पहली बार स्पाइन स्टेंटिंग प्रक्रिया / वर्टीब्रल बॉडी स्टेंटिंग (वीबीएस) प्रक्रिया का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है और यह प्रक्रिया भारत में पहली बार स्पाइनल नेविगेशन टूल ओ-आर्म के मार्गदर्शन में की गई है.संचेती अस्पताल के स्पाईन और न्युरोसायन्स युनिट के प्रमुख डॉ. शैलेश हदगावकर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में एक 51 वर्षीय और एक 82 वर्षीय महिला मरीज पर इस तरह की दो प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.

इस बारे में और जानकारी देते हुए डॉ. शैलेश हदगावकर ने बताया कि एक्स-रे और एमआरआई के बाद साफ पता चला कि रीढ़ की हड्डी टूट गई है. इन मरीजों की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था.इससे मरीज को असहनीय दर्द हो रहा था. खड़े होना, बैठना या कोई हरकत करना बहुत मुश्किल था. 82 वर्षीय महिला को हृदय संबंधी समस्याएं थीं और पहले उसकी एंजियोप्लास्टी हुई थी. हमने उसकी उम्र को देखते हुए दवा और इंजेक्शन देकर दर्द दूर करने की कोशिश की, लेकिन दर्द बढ़ता ही गया. फिर हमने वर्टीब्रल बॉडी स्टेंटिंग (वीबीएस) या स्पाइन स्टेंटिंग प्रक्रिया करने का फैसला किया.

वीबीएस वर्टीब्रल बॉडी फ्रैक्चर के लिए न्यूनतम इनवेसिव स्पाइन पुनर्निर्माण प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में, एक गुब्बारे को रीढ़ की हड्डी में डाला जाता है और फुलाया जाता है, और फिर एक स्टेंट डाला जाता है और सीमेंट से बंद कर दिया जाता है.इस पोजीशन में लोकल एनेस्थीसिया दिया गया था और यह प्रक्रिया हाई-टेक नेविगेशन टूल ओ-आर्म के मार्गदर्शन में की गई थी. ओ-आर्म प्रणाली यह प्रक्रिया करने का योग्य स्थान, सीमेंट भरने की जगह और कम खुराक के साथ रीयल-टाइम स्कैनिंग सक्षम करता है.

डॉ.हदगावकर ने कहा कि प्रक्रिया के बाद, मरीज का दर्द काफी कम हो गया और उसे दो दिनों के भीतर घर से छुट्टी दे दी गई. अन्य विकल्पों में आमतौर पर सीमेंट इंजेक्शन (वर्टेब्रोप्लास्टी), स्क्रू के साथ निर्धारण शामिल होता है, लेकिन इस स्थिति में अधिक जोखिम थी, जिससे सीमेंट इंजेक्शन मुश्किल हो जाता. साथ ही मरीज की उम्र को देखते हुए सर्जरी संभव नहीं थी.

संचेती अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. पराग संचेती ने कहा कि ओ-आर्म जैसी आधुनिक प्रक्रियाएं और उपकरण मरीजों के लिए फायदेमंद हैं, क्योंकि वे कम से कम छेद का उपयोग करते हैं, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं, जिससे मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं.इन मरीजों की आयु और स्वास्थ्य जटिलताओं को देखते हुए, कई जोखिम कारक थे. लेकिन प्रक्रिया में कौशल और सटीकता के लिए हमारी टीम की सराहना करता हूं.