नवरात्री विशेष : पुणे शहर के देवींयोें के मंदीरो का इतिहास और विशेषताएं

पुणे. माता रानी का देवियों में सर्वोच्च स्थान है. मां दुर्गा व आदिशक्ति जिसे माता, नवदुर्गा, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, अम्बे, जगदम्बे, शेरावाली, पहाड़ा वाली देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं. ममतामई माता की पूजा शक्तिस्वरूपी के रूप में की जाती है. दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म भी कहा जाता है. मां देवी के 9 स्वरूपों की रूपों के पूजा नवरात्रि का नौ पावन इन दिनों की जाती है. नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान, उपासना व आराधना से सुख,समृद्धि व यश की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधिवत उपासना से देवी की खास कृपा बरसती है. पूरे देश भर में मां देवी के पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. इन नौ दिनों में मंदिर व घरों में घट स्थापना कर मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पुरे भारत में देवी की सैकड़ों मंदिर है परंतु पुणे में देवी के मंदिरों के अलग ही ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है. पुणे में कई प्राचीन देवी के मंदिर है. छत्रपती शिवाजी महराज, बाजराव पेशवा के जमानेसे पूजा अर्चना की जोनवाले कुछ मंदीर है. इसी किार शहर के सभी विभिन्न इलाकों के देवी के मंदिरों के साथ शहर के विविध परिसरोमें पंडालों मे भी भक्तों का पूरे नौ दिनों तक तांता लगा रहता है. जिसमें भवानी माता मंदिर चुर्तरश्रगी मंदिर, जोगेश्‍वरी मंदिर , श्री महालक्ष्मी मंदिर, आई माता मंदिरों में भारी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करते है।
कलश स्थापना के साथ शुरू होगी आध्या देवी दुर्गा की पूजा
देवी के नौ पावन दिन नवरात्र की शुरुआत आज से शुरू हो गई है. आज के दिन घटस्थापना कर देवी के नौ दिनों की पूजा की शुरुआत हो गई है. शहर के मंदिरों के साथ पूजा पंडालों सजा धजा के तैयार है. इसके साथ बाजारों में भी पूजा से जुड़ी सामग्रियां बिक्री जोरो पर हैं. मान्यता है कि नवरात्र में सच्चे मन से देवी का पूजन करने पर सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं. इसके साथ ही नवरात्रि के नौ दिनों में डांडिया व गरबा उत्सव को लेकर विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किये गए है. नानापेठ में कई देवी के पंडाल बनाये गए है. इसके साथ ही सड़कों पर लाइटिंग व्यवस्था भी की गई है. इसके साथ ही ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाकों में पुलिस बलों की तैनाती के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं.


शहर के प्रमुख मंदिरों के प्राचीन व पौराणिक विशेषताएं
नवरात्र को लेकर शहर के सभी मंदिरों में तैयारी जोरों से चल रही है. जिनमें से शहर के प्रमुख व प्राचीन मंदिरों में भावानीपेठ स्थित भावानी माता मंदिर, बापट रोड स्थित चतुश्रृंगी मंदिर, जोगेश्वरी मंदिर, सारसबाग स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर, बिबवेवाड़ी स्थित आई माता मंदिरों में नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है. शहर के सभी मंदिरों में इन नौ दिनों में देवी के पूजा, अभिषेक व आरती के विशेष आयोजन किया गया है. इसके साथ ही शहर के विभिन्न इलाकों में देवी के मंडल भी बनाये गए है. शहर में नवरात्रि के दौरान देवी के दर्शन करने के लिए लाखों की भीड़ शहर के प्रमुख मंदिरों का रुख करते है. इसलिए हम आपके लिए पुणे के पांच देवी मंदिरों की सूची लाये हैं जहां आप नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान देवी का सुखद अनुभव कर सकते हैं.


पुणे ग्रामदैवता तांबडी जोगेश्‍वरी माता


पुरानी मान्यता के अनुसार तांबरासुर के वध के कारण देवी जोगेश्वरी का नाम तांबडी जोगेश्वरी पड़ा. बुधवार पेठ में स्थित यह मंदिर बहुत ही पुरानी शैली से बनी पेशकालीन है जिसकी स्थापना 300 वर्ष पहले हुई थी. इस मंदिर के परिसर में चारों ओर चार और मंदिर हैं. कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी और उनके अनुयायी उनमें बहुत आस्था रखते थे. इस मंदिर में अभी भी ’ओटी भरने’ की पुरानी परंपरा का पालन किया जाता है. माता जोगेश्वरी की मूर्ति का रंग लाल है इसलिए इसे ताम्बड़ी (मराठी में लाल) जोगेश्वरी कहा जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता जोगेश्वरी की बहुत विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. आज के मंदिर की पंडित रमेश पोफडे ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों देवी के अलग अलग वाहनों में बैठकर देवी की पूजा की जाती है. नवरात्र के नौ दिनों में देवी की पूजा बहुत ही विधि विधान से की जाती है. एवं दशहरे के दिन माता की भव्य पालकी में शोभायात्रा निकाली जाती है.


भावानी माता मंदिर –


पुणे के भावानी पेठ में स्थित यह मंदिर 1763 के दौरान बनाया गया था. जो बाजीराव पेश के काल में बनवाया गया है. जो शहर के सबसे पुराने ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है. स्थानीय लोगों द्वारा भवानी माता मंदिर को एक शक्तिशाली मंदिर कहा जाता है. देवी मूर्ति काले पत्थर से बनी है. इस मंदीरको 260 साल पुरे हो चुके है फिर भी मंदीर वृसे के वैेसे मंजबूत है। मंदिर में मंगलवार और शुक्रवार को बहुत ही भीड़ रहती है. लेकिन नवरात्रि के नौ दिनों में देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. नवरात्र के तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के मंदिर के चीफ ट्रस्टी विनायक मेढेकर ने बताया कि नवरात्र के इन नौ दिनों में देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. जिसमें पहले दिन घटस्थापना व उसके महा अभिषेक, महापूजा,ललिता पंचमी पूजा,नवचंडी हवन व विजयादशमी के दिन रुद्राभिषेक की जाती है. इसके साथ ही कोजगिरी पूर्णिमा के दिन महापूजा व शाम में देवी की शोभायात्रा निकाली जाती है.


चतुरश्रृंगी मंदिर –


चतुर्श्रुंगी मंदिर पुणे के सेनापति बापट रोड पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर में से एक है. देवी चतुरश्रृंगी को समर्पित यह मंदिर पुणे में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.चतुर्श्रुंगी मंदिर पुणे के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है. जहां लाखों भक्त की भीड़ देवी चतुरश्रृंगी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं. यह मंदिर 250 से 300 साल पुराना है. जिसकी स्थापना दुर्लभ सेठ पीतांबर दास महाजन के द्वारा की गई थी. देवी के दर्शन के लिये 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है. इस मंदिर के परिसर में देवी दुर्गा और भगवान गणेश के मंदिर भी हैं. इस साल नवरात्रि उत्सव आ आयोजन 15 से 24 अक्टूबर के दौरान मनाया जा रहा है. इस दौरान मंदिर के परिसर भक्तों के लिये 24 घंटे खुले रहेंगे. 15 अक्टूबर से शुरू होने शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा और कलश स्थापना सुबह 9.30 बजे किया जाएगा. उसके बाद अभिषेक, रुद्राभिषेक, महापूजा, महावस्त्र अर्पण किया जाएगा. एवं हर रोज सुबह 10 व रात के 9 बजे महाआरती , गणपति मंदिर में भजन – कीर्तन, प्रवचन, सामूहिक श्रीसूक्त जप, वेद जाप किया जाएगा. उसके बाद मंगलवार 23 अक्टुबर के नदचंडी होम दोपहर 3:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक आयोजित किया जाएगा. यह जानकारी मंदिर के अध्यक्ष नंदकुमार अनगल द्वारा दी गई.नवरात्रि उत्सव के दौरान मंदिर में विशेष रूप से बहुत भीड़ होती है.


श्री महालक्ष्मी मंदिर –


श्री महालक्ष्मी मंदिर में माँ के तीन रूप श्री महासरस्वती विद्या की देवी, समृद्धि की देवी माँ महालक्ष्मी और देवी श्री महाकाली के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर की स्थापना 1984 में की गई है. महालक्ष्मी मंदिर का शिखर 55 फीट ऊँचा, 24 फीट चौड़ा और छत 54 फीट लंबी है. यह मंदिर बहुत ही बारीक नक्काशी के साथ द्रविड़ शैली से संगमरमर पत्थर से बनाई गई है. मंदिर के मैनेजर ऋषिकेश मोरे नवरात्र के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि श्री महालक्ष्मी मंदिर श्री बन्सीलाल रामनाथ अग्रवाल धार्मिक व सांस्कृतिक ट्रस्ट की ओर से आयोजित सार्वजनिक नवरात्र उत्सव रविवार 15 अक्टूबर से शुरू होगा. दिनांक 15 से 24 अक्टूबर के दौरान धार्मिक कार्यक्रम के साथ साथ सामाजिक कार्यक्रम में आयोजित किये जायेंगे. जिसके अनुरूप महिला मेट्रो चालक व पदाधिकारियों का सम्मान समारोह व चंद्रयान मिशन में सहयोग महिला वैज्ञानिक सम्मान समारोह आयोजित किया गया है.

श्री आई माता मंदिर –


मार्कट यार्ड में स्थित खूबसूरत पहाड़ी पर सफेद संगमरमर से बना आई माता मंदिर शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की स्थापना मारवाड़ी समाज द्वारा साल 2010 में की गई थी. आई माता का प्रमुख मंदिर राजस्थान के बिलाड़ा में स्थित है. इस मंदिर की जटिल नक्काशी व संगमरमर के बहुत आकर्षक है, मंदिर में बहुत ही सुंदर संगमरमर की देवी की मूर्ति है जो श्री महालक्ष्मी जी व श्री चारभुजा जी के साथ विराजमान है. नवरात्रि के दौरान मंदिर खुबसुरत फुलो व लाइटों से सजाई गई है. इसके साथ ही मंदिर के परिसर में डांडिया उत्सव का आयोजन सिरवी समाज के लिया किया गया है. यह जानकारी मंदिर के ट्रस्टी चंद्र प्रकाश हीरालाल मुलेवा ने दी.

श्री लक्ष्मीमाता देवी

सहकारनगर की यह स्वयंभू श्री लक्ष्मीमाता देवी मूल रूप से पेशवा काल की हैं, इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1993 में पूर्व उपमहापौर आबा बागुल ने कराया था.इस मंदिर में कालीमाता, लक्ष्मीमाता और सरस्वतीमाता की त्रिगुण रूप में सुंदर संगमरमर की मूर्ति वरिष्ठ गांधीवादी विचारक बालासाहब भारदे के हाथों से स्थापित की गई थी. सहकारनगर में स्वयंभू श्री लक्ष्मीमाता का दक्षिणी शैली का मंदिर नवरात्रि के लिए तैयार हो रहा है. पूरे मंदिर को एल.ई.डी. रोशनी के साथ आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है और लाखों प्राकृतिक और सुगंधित फूलों से सजावट की जा रही है. इसके साथ ही इस मंदिर को शीशमहल का रूप दिया जा रहा है और विभिन्न रंग-बिरंगे दीपकों की मदद से इस मंदिर को 7 रंगों से सजाया जाएगा.

एकवीरा देवी

पुणे से 60 किमी की दूरी पर स्थित एकवीरा देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी महत्ता रखने वाला आध्यात्मिक स्थल है। यह मंदिर लोनावाला की पहाड़ियों में कार्ला की गुफा में स्थित है। इस मंदिर में जिस देवी मां की पूजा की जाती है, उनके बारे में मान्यता है कि, वह भगवान परशुराम की माता रेणुका की अवतार हैं। चैत्र नवरात्रि के पर्व पर पूरे मंदिर की आभा पूरी तरह से बदल जाती है। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है।बता दें कि, मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसी मान्यता है कि, पांडवों ने वनवास काल के दौरान एकवीरा देवी मंदिर का स्थानीय जनजातियों के सहयोग से निर्माण करवाया था। उनके जाने के बाद स्थानीय जनजातियों ने इस मंदिर में पूजा करनी शुरू कर दी थी। तभी से इस मंदिर को पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है।इस नवरात्रि लगाएं मां के दरबार में हाजिरीऐसा बताया जाता है कि, पांडवों को देवी मां ने यहीं पर आशीर्वाद दिया था। पांडवों को वरदान दिया कि, ये गुफाएं उनके वनवास काल के दौरान रहने का गुप्त स्थान हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें इस स्थान पर कोई नहीं खोज सकेगा। बता दें कि, वर्तमान समय में इस मंदिर में स्थानीय जनजातियों की ओर से पूजा की जाती है। यह मंदिर पूरे देश में भी प्रसिद्ध है। एकवीरा देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय साल भर रहता है, क्योंकि इस जगह का तापमान हर समय काफी खुशनुमा रहता है।ऐसे पहुंचें इस मंदिर मेंजानकारी के लिए बता दें कि, एकवीरा देवी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा पुणे हवाई अड्डा है। आप यहाँ से बस या निजी टैक्सी से आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं। यह मंदिर सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस और टैक्सी या निजी वाहनों से आसानी से इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन लोनावाला रेलवे स्टेशन पड़ता है। यह रेलवे स्टेशन 42 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से आप स्थानीय राज्य परिवहन की बस या टैक्सी लेकर आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं।”,”