‘उत्तराखंड टनल त्रासदी’ की न्यायिक जांच होनी चाहिए… मजदूरों की जान से खिलवाड़ करने वाली और अक्षम्य लापरवाह ‘नवयुग कंपनी’ पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी..(?) कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी..

 मुंबई, :- उत्तराखंड सुरंग की खुदाई कर रहे 41 मजदूरों को ‘जिंदगी और मौत के संघर्ष’ से बचाए जाने को पूरे देश ने देखा। 17 दिनों तक कार्य करने वाले सभी सरकारी एवं अर्धसरकारी संस्थाओं एवं श्रमिकों को बधाई एवं धन्यवाद..! लेकिन इस बात की जांच होनी चाहिए कि मजदूरों पर यह जानलेवा स्थिति क्यों थोपी गई। आक्रोश भरा यह सवाल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने उठाते हुए पूछा है कि उक्त टनल खोदने वाली ‘नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी’ पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी? उक्त सुरंग की खुदाई का काम ‘नवयुग कंपनी’ को देते समय क्या उनकी तकनीकी क्षमता और अनुभव देखा गया था..(?) क्या उक्त ‘नवयुग कंपनी’ मजदूरों के जीवन से खिलवाड़ कर रही थी? इस पर विचार नहीं किया गया(? ) ऐसे कई सवाल सामने आ रहे हैं जिससे कि मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रही ‘नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी’ (कथित तौर पर अडानी ग्रुप के नेतृत्व वाली कंपनी) पर प्राकृतिक और पर्यावरणीय नियमों और संकेतों का उल्लंघन (?) किया गया है और यह लापरवाहीअक्षम्य है। सरकार क्या कार्रवाई (?) करेगी, यह सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने यह घोषणा करने की मांग की कि सरकार इस त्रासदी के लिए जिम्मेदारी किसे तय करेगी ? उक्त सुरंग के कार्य में उक्त कंपनी ने ‘कर्मचारियों की सुरक्षा हेतु पूर्व तकनीकी तैयारी’ क्या और कैसे की..?? यह पता लगाना जरूरी है कि उत्खनन कार्य में तकनीकी सुरक्षा के मुद्दों की अनदेखी क्यों की गई (?) और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। अन्यथा किसी की अक्षम्य लापरवाही के कारण भविष्य में ऐसी घटनाएँ घटित हो सकती हैं। इसीलिए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने ”उत्तराखंड सुरंग हादसे की न्यायिक जांच” की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि गुजरात में मोरवी पुल दुर्घटना की उपेक्षा की गई और दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकट के बाद देखभाल करने के बजाय, देश को वास्तव में ‘जिम्मेदार सरकारों’ की जरूरत है जो संकट-पूर्व सावधानियों और नियमों को लागू करें। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में सरकार की लापरवाही के कारण ही देश में पुलवामा, मोरवी, ट्रेन दुर्घटना, उत्तराखंड सुरंग आदि दुर्घटनाएं नहीं हुईं।