१० साल की असफलता के कारण मंदिर प्रपोगंडा के पिछे मुँह छुपा रही है भाजपा..।


काँग्रेस ‘हिंदू विरोधी’ (?) बतानेका भाजप का प्रयास हास्यास्पद तथा राजनैतिक बाल्यावस्था दर्शानेवाला….।
महाराष्ट्र काँग्रेस राज्य प्रवक्ता – गोपालदादा तिवारी
ने की तिखी आलोचना..
पुणे – :
‘आधे-अधूरे मंदीर में मुर्तीयोंकी प्रतिष्ठापना तथा मंदीर ऊदधाटन धर्मशास्त्र के अनुसार निषिद्ध मानकर, चारों-धाम’ के शंकराचार्योंका बहीष्कार डालना देश के लिए गर्व की बात नहीं है.. बल्की भारत की सभ्यता तथा संस्कृती के लिए शर्मनाक है । केंद्र में बैठी मोदी सरकार अपने राजनैतिक फ़ायदे के लिए ही ‘मंदीर न्यास’के कार्यक्षेत्रमे सत्ता के दम पर दबाव डाल कर अनुचित हस्तक्षेप कर रही है.. ऐसी तिखी आलोचना महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस के राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने की..!
उन्होंने आगे कहा की, लोकतांत्रिक देश में, जनता के प्रति मोदी सरकारकी १० सालोंकी राजनैतिक असफलता तथा जनता को दिये हुए वादोंका पुरा न करना, देशपर ३ गुना क़र्ज़ा बढ़ाना, बेरोज़गारी तथा मेहंगाई काबु में न रख पाने के कारण जनता का ध्यान भटकाने के लिए ही मोदी सरकार पर “भगवान राम मंदीर का प्रपोगंडा करके मंदिर के पिछे छुपने की” नौबत आयी है, ऐसी तिखी आलोचना भी काँग्रेस ने की..!
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी के राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आगे कहा की, “संविधानिक कर्तव्योंपर खरा उतारना, तथा धर्म, पंथ, संप्रदाय की राजनीति से दुर रहना” इसका मतलब ‘काँग्रेस हिंदू विरोधी’(?)है यह बतानेका भाजप का प्रयास हास्यास्पद तथा राजनैतिक बाल्यावस्था दर्शानेवाला है..।
ऊन्होने आगे कहा की, कांग्रेस काल में तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिराजी द्वारा देश में टीव्ही लाया गया था, तभी उसी दौर में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी द्वारा संपूर्ण देशवासियों को (रामानंद सागर निर्मित) – 84 और 98 एपिसोड में “संपूर्ण रामायण और महाभारत” के धारावाहिक (सिरीयल्स) लगातार दो वर्षोंतक (प्रत्येक रविवार प्रातः 10 बजे) दिखाए गए थे..!
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया तभी से राम लल्ला के दर्शन की प्रक्रिया शुरू हुई..।
तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी सदैव ‘रुद्राक्ष माला’ पहनकर ‘व्यक्तिगत हिंदू धर्म’ का पालन करती तथा समय-समय पर शंकराचार्य का आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेती थीं, उनके सामने बैठती थीं, लेकिन कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने कभी भी ‘हिन्दुत्व की भावना से’ उपरोक्त का कोई राजनीतिक दिखावा या प्रचार नहीं किया या हिंदुत्व का डंका नहीं पिटा था..। बल्की हमेंशा, “संवैधानिक लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता” को स्वीकार करके अपने कर्तव्यों का पालन किया।
श्रीराम जी का उन्मादभरी जय-जयकार ही सिर्फ़ हिंदुत्व का लक्षण नही है बल्कि राम चरित्र की शिक्षा तथा गुणों के प्रति सजग होकर वहीं निभाने का प्रयास करना ही श्री राम चरीत्र के अनुकरण करने जैसा है जिसका लगातार प्रयास काँग्रेस पार्टी तथा उसके नेता लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधानिक विरोधी पक्ष के कर्तव्य के तौर पर करते आ रहे है..।
यह कहना भी गलत नहीं होगा, कि रामायण “पारिवारिक ऊत्तर दायित्व का बंधन, सच्चाई तथा राजधर्म के पालन और जिम्मेदारी” का प्रतीक है।
ऊन्होंने यह भी कहा, की,
काँग्रेस के संविधानिक धर्मनिरपेक्षता के माहौल के कारण ही, डॉ एपीजे अबुल कलाम, मोहम्मद इस्लाम खान जैसे वैज्ञानिक, बिस्मिल्ला खान, झाकीर हुसैन, एम एफ हुसैन जैसे कलाकार, तथा नवाब मनसुर अली खान पतौडी, गितकार तथा संगीतकार नौशाद, मोहम्मद रफ़ी, निवेदक अमीन सयानी, जब्बार पटेल, वहीदा रेहमान, कादर खान, सलमान, शाहरुख़ तथा अमीर खान, जावेद अख़्तर तथा शबाना आज़मी जैसे कलाकार, सईद किरमाणी, मोहम्मद अझरुद्दीन, मोहम्मद शमी (क्रिकेट), मोहम्मद शाहिद (हॉकी) जैसे खिलाड़ी देश को मिल पाए .. जिन्होंने भारत का नाम रोशन किया तथा देश की तरक़्क़ी में योगदान दिया.. यह बात भी मायने रखती है..। अल्पसंख्यकोंको सुरक्षा देना, उन्हे भारतीय नागरिक के तौर पर मौक़ा देना, उनके प्रती उचित न्याय करना हिंदू धर्म में पुरुषार्थ बताया है.. बल्की ना की लांगुन चालन करना..।
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